दम-ए-ता'मीर तख़रीब-ए-जहाँ कुछ और कहती है

दम-ए-ता'मीर तख़रीब-ए-जहाँ कुछ और कहती है

कली कुछ और कहती है ख़िज़ाँ कुछ और कहती है

ख़ुदा की याद सब कुछ है मगर ऐ ज़ाहिद-ए-नादाँ

दिलों से मस्ती-ए-चश्म-ए-बुताँ कुछ और कहती है

कभी शायद वो दौर आए जब इंसाँ हो सके इंसाँ

अभी तो गर्दिश-ए-हफ़्त-आसमाँ कुछ और कहती है

बना कर आशियाने फ़स्ल-ए-गुल में शाद हैं लेकिन

चमन वालों से बर्क़-ए-बे-अमाँ कुछ और कहती है

बहुत मुश्किल है मंज़िल तक जो अहल-ए-कारवाँ पहुँचें

कि हम से गर्द-ए-राह-ए-कारवाँ कुछ और कहती है

ये ग़फ़लत ऐ हयात-ए-चंद-रोज़ा के परस्तारो

उठो तुम से हयात-ए-जाविदाँ कुछ और कहती है

असर नग़्मों में भी है नाला-हा-ए-ग़म में भी 'शाइर'

मगर टूटे हुए दिल की फ़ुग़ाँ कुछ और कहती है

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In Hindi By Famous Poet Shaer Fatahpuri. is written by Shaer Fatahpuri. Complete Poem in Hindi by Shaer Fatahpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.