कब ये दिल ओ दिमाग़ है मिन्नत-ए-शम्अ खींचिए
ख़ाना-ए-दिल-जलों के बीच दाग़-ए-जिगर चराग़ है
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हम तिरी राह में जूँ नक़्श-ए-क़दम बैठे हैं
औक़ात-ए-शैख़ गो कि सुजूद ओ क़याम है
करूँ हूँ रात दिन फेरे कई फेरे मियाँ साहिब
मज़रा-ए-दुनिया में दाना है तो डर कर हाथ डाल
नज़र में बंद करे है तू एक आलम को
रात दिन जारी हैं कुछ पैदा नहीं इन का कनार
दिल मिरा आज यार में है गा
न इतना चाहिए ऐ पुर-शिकम ख़्वाब
सच अगर पूछो तो ना-पैदा है यक-रू आश्ना
तिरा दिल यार अगर माइल करे है
कहें हम बहर-ए-बे-पायान-ए-ग़म की माहियत किस से
पगड़ी अपनी यहाँ सँभाल चलो