जिन से अँधेरी रातों में जल जाते थे दिए
कितने हसीन लोग थे क्या जाने क्या हुए
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
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आरज़ू थी एक दिन तुझ से मिलूँ
कई शक्लों में ख़ुद को सोचता है
कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल कर
याद और याद को भुलाने में
साहिलों की शफ़ीक़ आँखों में
बयाज़ें खो गई हैं
सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है
मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे
किसी के साथ अब साया नहीं है
आँखों में रात ख़्वाब का ख़ंजर उतर गया
दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारी
क्या ख़बर थी आतिशीं आब-ओ-हवा हो जाऊँगा