सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है
इस लिए बच्चे ने काग़ज़ पे घरौंदा लिख्खा
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Anwar Masood
Habib Jalib
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई
दरवाज़ा कोई घर से निकलने के लिए दे
पत्तियाँ हो गईं हरी देखो
साहिलों की शफ़ीक़ आँखों में
छीन कर वो लज़्ज़त-ए-सौत-ओ-सदा ले जाएगा
मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे
कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँ
चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो ले
बदलती रुत का नौहा सुन रहा है
दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारी
गली के मोड़ से घर तक अँधेरा क्यूँ है 'निज़ाम'
बीच का बढ़ता हुआ हर फ़ासला ले जाएगा