जब निगाहों के इशारात बदल जाते हैं
ख़ुद-ब-ख़ुद प्यार के जज़्बात बदल जाते हैं
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(438) Peoples Rate This
तिरी निगाह ने अपना बना के छोड़ दिया
होती है लबों पर ख़ामोशी आँखों में मोहब्बत होती है
ग़म से भीगे हुए नग़्मात कहाँ से लाऊँ
वो रक़्स करने लगीं हवाएँ वो बदलियों का पयाम आया
मिरी आह बे-असर है मैं असर कहाँ से लाऊँ
मौसम भी ख़ुश-गवार ज़माना भी रास है