ऐ नसीम-ए-सहरी बू-ए-मोहब्बत ले आ
तुर्रा-ए-यार सती इत्र की महकार कूँ खोल
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जान ओ दिल सीं मैं गिरफ़्तार हूँ किन का उन का
दिल में जब आ के इश्क़ ने तेरे महल किया
क्यूँकि होवे ज़ाहिद ख़ुद-बीं मुरीद-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार
मरहम तिरे विसाल का लाज़िम है ऐ सनम
जब सीं देखा हूँ यार की सूरत
अग़्यार छोड़ मुझ सें अगर यार होवेगा
मैं न जाना था कि तू यूँ बे-वफ़ा हो जाएगा
हमारा दिलबर-ए-गुलफ़म आया
सुनो तो ख़ूब है टुक कान धर मेरा सुख़न प्यारे
तुझ ज़ुल्फ़ की शिकन है मानिंद-ए-दाम गोया
कौन कहता है जफ़ा करते हो तुम
सनम किस बंद सीं पहुँचूँ तिरे पास