दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया
Mohsin Naqvi
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Faiz Ahmad Faiz
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फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह
मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है
दिल के दीवार-ओ-दर पे क्या देखा
मेरे दुख की कोई दवा न करो
अहल-ए-उल्फ़त के हवालों पे हँसी आती है
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
तेरे जाने में और आने में
तुम न घबराओ मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर को देख कर
आशिक़ी हो कि बंदगी 'फ़ाख़िर'
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो
पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम पत्थर के ही इंसाँ पाए हैं
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं