इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो
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मेरे दुख की कोई दवा न करो
ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
तेरी आँखों में हम ने क्या देखा
किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
हर तरफ़ ज़ीस्त की राहों में कड़ी धूप है दोस्त
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो
दुनिया से वफ़ा कर के सिला ढूँढ रहे हैं
पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम पत्थर के ही इंसाँ पाए हैं
मिरी ज़बाँ से मिरी दास्ताँ सुनो तो सही
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह