बाहर हिसार-ए-ग़म से फ़क़त देखने में था

बाहर हिसार-ए-ग़म से फ़क़त देखने में था

उलझा हुआ तो वो भी किसी मसअले में था

यूँ भी ग़लत उमीद का इल्ज़ाम आ गया

हालाँकि हर सवाल मिरा ज़ाब्ते में था

दुनिया की फ़िक्र तुझ को मुझे था तिरा ख़याल

बस इतना फ़र्क़ तेरे मिरे सोचने में था

हर शख़्स अपने-आप को समझे हुए था मीर

तक़लीद-ए-कार कोई कहाँ क़ाफ़िले में था

पत्थर वहीं से आते थे मुझ को नवाज़ने

शीशे का इक मकाँ जो मिरे रास्ते में था

'सुल्तान' हुक्मराँ था वो हर लम्हा ज़ेहन पर

मशग़ूल रात दिन मैं जिसे भूलने में था

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In Hindi By Famous Poet Sultan Nizami. is written by Sultan Nizami. Complete Poem in Hindi by Sultan Nizami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.