Ghazals of Tahzeeb Hafi

Ghazals of Tahzeeb Hafi
नामतहज़ीब हाफ़ी
अंग्रेज़ी नामTahzeeb Hafi

ये एक बात समझने में रात हो गई है

तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा

न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है

कुछ ज़रूरत से कम किया गया है

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है

जब उस की तस्वीर बनाया करता था

इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं

इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे

इक हवेली हूँ उस का दर भी हूँ

चेहरा देखें तेरे होंट और पलकें देखें

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता

अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी

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