Ghazals of Tariq Naeem

Ghazals of Tariq Naeem
नामतारिक़ नईम
अंग्रेज़ी नामTariq Naeem
जन्म की तारीख1958
जन्म स्थानIslamabad

ये ख़याल था कभी ख़्वाब में तुझे देखते

वो ख़ुद गया है उस का असर तो नहीं गया

तुझ को इस तरह कहाँ छोड़ के जाना था हमें

सारी तरतीब-ए-ज़मानी मिरी देखी हुई है

पोशीदा किसी ज़ात में पहले भी कहीं था

फिर इस से क़ब्ल कि बार-ए-दिगर बनाया जाए

मुझे ज़िंदगी से ख़िराज ही नहीं मिल रहा

मिरी निगाह किसी ज़ाविए पे ठहरे भी

मैं आ रहा था सितारों पे पाँव धरते हुए

जीना क्या है पिछ्ला क़र्ज़ उतार रहा हूँ

इस रात किसी और क़लम-रौ में कहीं था

हवा में आए तो लौ भी न साथ ली हम ने

हवा का हुक्म भी अब के नज़र में रक्खा जाए

दर-ओ-बस्त-ए-अनासिर पारा पारा होने वाला है

ब-नाम-ए-इश्क़ यही एक काम करते हैं

अजीब दर्द का रिश्ता था सब के सब रोए

ऐसी तक़्सीम की सूरत निकल आई घर में

अगर कुछ भी मिरे घर से दम-ए-रुख़्सत निकलता है

अब ये हंगामा-ए-दुनिया नहीं देखा जाता

आज किस ख़्वाब की ताबीर नज़र आई है

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