Ghazals of Unwan Chishti

Ghazals of Unwan Chishti
नामउनवान चिश्ती
अंग्रेज़ी नामUnwan Chishti
जन्म की तारीख1937
मौत की तिथि2004
जन्म स्थानDelhi

ज़िंदाबाद ऐ दश्त के मंज़र ज़िंदाबाद

वो मुस्कुरा के मोहब्बत से जब भी मिलते हैं

तअ'स्सुब की फ़ज़ा में ता'ना-ए-किरदार क्या देता

सारी दुनिया में दाना है अपने घर में कुछ भी नहीं

रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत

रात कई आवारा सपने आँखों में लहराए थे

मिरे शानों पे उन की ज़ुल्फ़ लहराई तो क्या होगा

किसी के फ़ैज़-ए-क़ुर्ब से हयात अब सँवर गई

कहते हैं अज़ल जिस को उस से भी कहीं पहले

जब ज़ुल्फ़ शरीर हो गई है

इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है

हुस्न से आँख लड़ी हो जैसे

बच्चे भी अब देख के उस को हँसते हैं

आज अचानक फिर ये कैसी ख़ुशबू फैली यादों की

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