तुझ क़बा पर गुलाब का बूटा
दिल-ए-बुलबुल गोया अभी टूटा
सच कहूँ अहद है तिरा झूटा
तू सलामत रहे ये दिल टूटा
ख़त ने ज़ुल्फ़ों का क़त्ल-ए-आम किया
फ़ौज-ए-नादिर ने हिन्द को लूटा
दिल हवा बू-ए-गुल सा सहराई
जब वो पंजे से ग़ुंचे के छूटा
Allama Iqbal
Wasi Shah
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(511) Peoples Rate This
पीर हो शैख़ हुआ है देखो तिफ़्लों का मुरीद
ऐ सालिक इंतिज़ार-ए-हज में क्या तू हक्का-बक्का है
घर यार का हम से दूर पड़ा गई हम से राहत एक तरफ़
हिन्दू ओ मुस्लिमीन हैं हिर्स-ओ-हवा-परसत
तीरा-बख़्तों को करे है नाला-ए-ग़मगीं ख़राब
अरे उल्टे ज़माने मुझ पे क्या सीधा सितम लाया
ऐ यार मुझ अफ़सुर्दा-ए-हिज्राँ को पहुँच तू
है उस की ज़ुल्फ़ से नित पंजा-ए-अदू गुस्ताख़
कुफ़्र मोमिन है न करना दिलबराँ से इख़्तिलात
आज दिल बे-क़रार है मेरा
अबस तोड़ा मिरा दिल नाज़ सिखलाने के काम आता
कर रहे हैं मुझ से तुझ-बिन दीदा-ए-नमनाक जंग