रात भी मुरझा चली चाँद भी कुम्हला गया
फिर भी तिरा इंतिज़ार देखिए कब तक रहे
Rahat Indori
Wasi Shah
Allama Iqbal
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Javed Akhtar
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Anwar Masood
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हमारे मय-कदे का अब निज़ाम बदलेगा
अलिफ़ लैला
मिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़ज़ा नए बाल-ओ-पर की तलाश है
ज़बाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी
नहीं मिलते तो इक अदना शिकायत है न मिलने की
सफ़र-ए-ना-तमाम
हारने जीतने से कुछ नहीं होता 'वामिक़'
वो जो तस्बीह लिए है उस को
ये हम को छोड़ के तन्हा कहाँ चले 'वामिक़'
ज़हराब पीने वाले अमर हो के रह गए
साज़-ए-हस्ती में कुछ सदा ही नहीं