नहीं मिलते तो इक अदना शिकायत है न मिलने की
मगर मिल कर न मिलने की शिकायत और होती है
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Gulzar
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
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जीने का लुत्फ़ कुछ तो उठाओ नशे में आओ
दिल परेशाँ है न जाने किस लिए
देहली
सुर्ख़ दामन में शफ़क़ के कोई तारा तो नहीं
साज़-ए-हस्ती में कुछ सदा ही नहीं
अलिफ़ लैला
दीवाने दीवाने ठहरे खेल गए अँगारों से
अरे ओ अदीब-ए-फ़सुर्दा-ख़ू अरे ओ मुग़न्नी-ए-रंग ओ बू
बुलाए जाते हैं मक़्तल में हम सज़ा के लिए
तेरी क़िस्मत ही में ज़ाहिद मय नहीं
मुझे उस जुनूँ की है जुस्तुजू जो चमन को बख़्श दे रंग ओ बू
रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों में आते रहना