बादशाह

आप बादशाह हैं

हमें भूल क्यूँ नहीं जाते

हम बहुत छोटे हैं

हमारी ज़िंदगी

हम से भी ज़ियादा छोटी है

आप अगर चाहें

तो उसे अपने जूते के

अगले हिस्से के नीचे मुकम्मल कर सकते हैं

मगर आप ने तो हमें

अपने जूते में निकल आने वाली कील

समझ लिया है

आप का ख़याल

कैसे ग़लत हो सकता है

आप बादशाह हैं

अगर आप को ग़ुस्सा आ जाए

तो आप हँस सकते हैं

हमें और हमारे दोस्तों को

हाथी के पैरों में बैठे देख कर

आप आसमान ही

हमारे घरों पर गिर सकते हैं

जहाँ हम बेदार हुए थे

अपने मुँह में

लकड़ी का चमचा ले के

किसी बादशाह से ज़ियादा

बादशाह

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Baadshah In Hindi By Famous Poet Zeeshan Sahil. Baadshah is written by Zeeshan Sahil. Complete Poem Baadshah in Hindi by Zeeshan Sahil. Download free Baadshah Poem for Youth in PDF. Baadshah is a Poem on Inspiration for young students. Share Baadshah with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.