ये बात याद रखेंगे तलाशने वाले
जो उस सफ़र पे गए लौट कर नहीं आए
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पहला ख़ुत्बा
दरियाओं की नज़्र हुए
आँखों के सामने कोई मंज़र नया न था
घर में और बहुत कुछ था
तेरी ख़बर मिल जाती थी
बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता
सोने से जागने का तअल्लुक़ न था कोई
बादबाँ खोलेगी और बंद-ए-क़बा ले जाएगी
ताबीर इस की क्या है धुआँ देखता हूँ मैं
पनाहें ढूँढ के कितनी ही रोज़ लाता है
सभी को अपना समझता हूँ क्या हुआ है मुझे
बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी