Ghazals of Abdul Rahman Khan Wasifi Bahraichi

Ghazals of Abdul Rahman Khan Wasifi Bahraichi
नामअब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची
अंग्रेज़ी नामAbdul Rahman Khan Wasifi Bahraichi

यूँ अश्क बरसते हैं मिरे दीदा-ए-तर से

मोहब्बत का जिसे इरफ़ाँ नहीं है

मैं जानता हूँ कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं

क्या क्या सुपुर्द-ए-ख़ाक हुए नामवर तमाम

कोई नज़्र-ए-ग़म-ए-हालात न होने पाए

काश समझते अहल-ए-ज़माना

करते नहीं जफ़ा भी वो तर्क-ए-वफ़ा के साथ

जीत कर बाज़ी-ए-उल्फ़त को भी हारा जाए

ग़म से घबरा के कभी नाला-ओ-फ़रियाद न कर

दिल उन की मोहब्बत का जो दीवाना लगे है

अदब में मुद्दई-ए-फ़न तो बे-शुमार मिले

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