हमारे साँस भी ले कर न बच सके अफ़ज़ल
ये ख़ाक-दान में दम तोड़ते हुए सिगरेट
Ahmad Faraz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(806) Peoples Rate This
ये कह दिया है मिरे आँसुओं ने तंग आ कर
ये जो कुछ लोग ख़यालों में रहा करते हैं
मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी
ये नुक्ता इक क़िस्सा-गो ने मुझ को समझाया
तू मुझे तंग न कर ए दिल-ए-आवारा-मिज़ाज
तभी तो मैं मोहब्बत का हवालाती नहीं होता
ये मोहब्बत के महल ता'मीर करना छोड़ दे
हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह कर
किसी ने ख़्वाब में आकर मुझे ये हुक्म दिया
आदमी ख़्वार भी होता है नहीं भी होता
साथियो अब मुझे रस्ते में उतरना होगा