लोग हँसते हैं हमें देख के तन्हा तन्हा
आओ बैठें कहीं और उन पे हँसें हम और तुम
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दिल कोई फूल नहीं और सितारा भी नहीं
हमारा इश्क़ सलामत है यानी हम अभी हैं
कोई गुमाँ हूँ कोई यक़ीं हूँ कि मैं नहीं हूँ
इक अश्क बहा होगा
पहले हम अश्क थे फिर दीदा-ए-नम-नाक हुए
ऐ मियाँ कौन ये कहता है मोहब्बत की है
हम ने अव्वल तो कभी उस को पुकारा ही नहीं
आज देखा है उसे ऐसी मोहब्बत से 'अता'
इक रात मैं सो नहीं सका था
किसी बुज़ुर्ग के बोसे की इक निशानी है
ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि मियाँ
दोनों के जो दरमियाँ ख़ला है