किसी बुज़ुर्ग के बोसे की इक निशानी है
हमारे माथे पे थोड़ी सी रौशनी है ना
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ये जो रातों को मुझे ख़्वाब नहीं आते 'अता'
सड़क पे बैठ गए देखते हुए दुनिया
ऐ मियाँ कौन ये कहता है मोहब्बत की है
किसी को ख़्वाब में अक्सर पुकारते हैं हम
इक रात मैं सो नहीं सका था
फिर कोई दूर हुआ जाता है
बेबसी ऐसी भी होती है भला
कोई गुमाँ हूँ कोई यक़ीं हूँ कि मैं नहीं हूँ
आज देखा है उसे ऐसी मोहब्बत से 'अता'
हमें न देखिए हम ग़म के मारे जैसे हैं
मैं न होने से हुआ या'नी बड़ी तक़्सीर की
मिरे लिए तिरा होना अहम ज़ियादा है