अहमद राही कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद राही (page 2)

अहमद राही कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद राही (page 2)
नामअहमद राही
अंग्रेज़ी नामAhmad Rahi
जन्म की तारीख1923
मौत की तिथि2002
जन्म स्थानLahore

तवील रातों की ख़ामुशी में मिरी फ़ुग़ाँ थक के सो गई है

तवील रातों की ख़ामुशी में मिरी फ़ुग़ाँ थक के सो गई है

तन्हाइयों के दश्त में अक्सर मिला मुझे

क़याम-ए-दैर-ओ-तवाफ़-ए-हरम नहीं करते

क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले

मैं दिल-ज़दा हूँ अगर दिल-फ़िगार वो भी हैं

महफ़िल महफ़िल सन्नाटे हैं

लम्हा लम्हा शुमार कौन करे

कोई माज़ी के झरोकों से सदा देता है

कोई हसरत भी नहीं कोई तमन्ना भी नहीं

कोई बतलाए कि क्या हैं यारो

कभी तिरी कभी अपनी हयात का ग़म है

कभी हयात का ग़म है कभी तिरा ग़म है

जिस राह से भी गुज़र गए हम

जिन्हें रास आ गए हैं ये सहर-नुमा अँधेरे

ग़म-ए-हयात में कोई कमी नहीं आई

गर्दिश-ए-जाम नहीं गर्दिश-ए-अय्याम तो है

दिन को रहते झील पर दरिया किनारे रात को

दिन गुज़रता है कहाँ रात कहाँ होती है

दिल पे जब दर्द की उफ़्ताद पड़ी होती है

दिल के वीरान रास्ते भी देख

दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा

आम है कूचा-ओ-बाज़ार में सरकार की बात

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