Coupletss of Ahmad Rahi

Coupletss of Ahmad Rahi
नामअहमद राही
अंग्रेज़ी नामAhmad Rahi
जन्म की तारीख1923
मौत की तिथि2002
जन्म स्थानLahore

ज़िंदगी के वो किसी मोड़ पे गाहे गाहे

वो दास्ताँ जो तिरी दिल-कशी ने छेड़ी थी

वक़्त की क़ब्र में उल्फ़त का भरम रखने को

क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले

मिरे हबीब मिरी मुस्कुराहटों पे न जा

मैं तो मस्जिद से चला था किसी काबा की तरफ़

मैं सोचता हूँ ज़माने का हाल क्या होगा

ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं

कहीं ये अपनी मोहब्बत की इंतिहा तो नहीं

जिस तरफ़ जाएँ जहाँ जाएँ भरी दुनिया में

हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस ने

दूर तेरी महफ़िल से रात दिन सुलगता हूँ

दिल से दिल नज़रों से नज़रों के उलझने का समाँ

दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा

दर्द की बात किसी हँसती हुई महफ़िल में

अब न काबा की तमन्ना न किसी बुत की हवस

अब इस के तसव्वुर से भी झुकने लगीं आँखें

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