दर्द की बात किसी हँसती हुई महफ़िल में
जैसे कह दे किसी तुर्बत पे लतीफ़ा कोई
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ग़म-गुसारी
दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा
क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले
दिल के वीरान रास्ते भी देख
मिरे हबीब मिरी मुस्कुराहटों पे न जा
कहीं ये अपनी मोहब्बत की इंतिहा तो नहीं
ज़िंदगी
कभी हयात का ग़म है कभी तिरा ग़म है
कोई माज़ी के झरोकों से सदा देता है
नज़्म
कोई बतलाए कि क्या हैं यारो