चाँद में दरवेश है जुगनू में जोगी
कौन है वो और किस को खोजता है
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अल्लाह वाला एक क़बीला मेरी निस्बत
यहाँ हर लफ़्ज़ मअनी से जुदा है
इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ
दश्त-ए-उम्मीद में ख़्वाबों का सफ़र करना था
एक बच्चा ज़ेहन से पैसा कमाने की मशीन
सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ
फिर इस के ब'अद पत्थर हो गया आँखों का पानी
मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता
नौ-जवानों का क़बीला उस के पीछे चल पड़ा
लफ़्ज़ों की दस्तरस में मुकम्मल नहीं हूँ मैं
बस उस की पहचान यही है
सात क़ुल्ज़ुम हैं मिरे सीने में