बस उस की पहचान यही है
आँख में आँसू भरने वाला
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सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ
चाँद में दरवेश है जुगनू में जोगी
बहुत छोटा सफ़र था ज़िंदगी का
है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो
अल्लाह वाला एक क़बीला मेरी निस्बत
पॉप धमाके में हम भक्ती ढूँड रहे हैं
मैं ने भी बच्चों को अपनी निस्बत से आज़ाद किया
मैं बात करने लगा था कि लफ़्ज़ गूँगे हुए
शब-ओ-रोज़ नख़्ल-ए-वजूद को नया एक बर्ग-ए-अना दिया
लफ़्ज़ जब उतरा मिरी आँखें मुनव्वर हो गईं
मैं ख़ुद अपने आप से हूँ बेगाना सा
एक बच्चा ज़ेहन से पैसा कमाने की मशीन