अंग अंग से रंग रंग के फूल बरसते देखे कौन
रंग रंग से शोले बरसे कैसे बरसे सोचे कौन
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तरस रहा हूँ क़रार-ए-दिल-ओ-नज़र के लिए
जो रेज़ा रेज़ा नहीं दिल उसे नहीं कहते
उम्र का आख़िरी दिन
फ़लक पे चाँद नहीं कोई अब्र-पारा नहीं
आप कहें तो गुलशन है
आसमाँ की आँख सूरज चाँद बीनाई भी है
पाताल ज़मीन आसमान
उन से मेरी बात न पूछ
कौन डूबेगा किसे पार उतरना है 'ज़फ़र'
वो फूल जो मुस्कुरा रहा है
सियाह रात की हर दिलकशी को भूल गए
जंगल का सन्नाटा मेरा दुश्मन है