मेरा हाल-ए-ज़ार तो देखा मगर
ये न पूछा क्यूँ ये हालत हो गई
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ऐ दिल न सुन अफ़्साना किसी शोख़ हसीं का
सो हश्र में लिए दिल-ए-हसरत मआब में
चाहिए इश्क़ में इस तरह फ़ना हो जाना
है वो जब दिल में तो कैसी जुस्तुजू
क़ासिद नई अदा से अदा-ए-पयाम हो
रोक ले ऐ ज़ब्त जो आँसू के चश्म-ए-तर में है
कशिश-ए-हुस्न की ये अंजुमन-आराई है
मुतमइन अपने यक़ीं पर अगर इंसाँ हो जाए
नाकाम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम
साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है
जब मुलाक़ात हुई तुम से तो तकरार हुई