आतिश-ए-इश्क़ भड़क उट्ठी है पैमाने मैं
कौन सी आग लगी दिल में ये अनजाने में
ये तिरी शीरीं-लबी शोला-ए-आतिश बन कर
अब समाअ'त से चली दल के निहाँ-ख़ाने में
Wasi Shah
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(872) Peoples Rate This
हम आज बज़्म-ए-रक़ीबाँ से सुर्ख़-रू आए
जला के दिल को रखा सुब्ह-ओ-शाम रोज़-ओ-शब
में महफ़िल-ए-हयात में हैरान सा रहा
आवारगी
अकेले अकेले ही पा ली रिहाई
ये तिरे लम्स का एहसास जवाँ-तर हो जाए
महबूबा और मौत
तिरी आश्नाई से तेरी रज़ा तक
मक़्तल
सुरूर
रू-ब-रू-ए-मर्ग