Khawab Poetry of Akhtar Imam Rizvi
नाम | अख़तर इमाम रिज़वी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Imam Rizvi |
अब भी आती है तिरी याद प इस कर्ब के साथ
जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को
जो संग हो के मुलाएम है सादगी की तरह
दिल वो प्यासा है कि दरिया का तमाशा देखे