Ghazals of Akhtar Muslimi

Ghazals of Akhtar Muslimi
नामअख़तर मुस्लिमी
अंग्रेज़ी नामAkhtar Muslimi

तुम अपनी ज़बाँ ख़ाली कर के ऐ नुक्ता-वरो पछताओगे

शिकवा इस का तो नहीं है जो करम छोड़ दिया

नाले मिरे जब तक मिरे काम आते रहेंगे

न समझ सकी जो दुनिया ये ज़बान-ए-बे-ज़बानी

माइल-ए-लुत्फ़ है आमादा-ए-बे-दाद भी है

किस को कहते हैं जफ़ा क्या है वफ़ा याद नहीं

कहाँ जाएँ छोड़ के हम उसे कोई और उस के सिवा भी है

दिल ही रह-ए-तलब में न खोना पड़ा मुझे

दरिया नज़र न आए न सहरा दिखाई दे

आँसुओं के तूफ़ाँ में बिजलियाँ दबी रखना

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