लिखा है मुझ को भी लिखना पड़ा है

लिखा है मुझ को भी लिखना पड़ा है

जहाँ से हाशिया छोड़ा गया है

अगर मानूस है तुम से परिंदा

तो फिर उड़ने को पर क्यूँ तोलता है

कहीं कुछ है कहीं कुछ है कहीं कुछ

मिरा सामान सब बिखरा हुआ है

मैं जा बैठूँ किसी बरगद के नीचे

सुकूँ का बस यही एक रास्ता है

क़यामत देखिए मेरी नज़र से

सवा नेज़े पे सूरज आ गया है

शजर जाने कहाँ जा कर लगेगा

जिसे दरिया बहा कर ले गया है

अभी तो घर नहीं छोड़ा है मैं ने

ये किस का नाम तख़्ती पर लिखा है

बहुत रोका है इस को पत्थरों ने

मगर पानी को रास्ता मिल गया है

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Likha Hai Mujhko Bhi Likhna PaDa Hai In Hindi By Famous Poet Akhtar Nazmi. Likha Hai Mujhko Bhi Likhna PaDa Hai is written by Akhtar Nazmi. Complete Poem Likha Hai Mujhko Bhi Likhna PaDa Hai in Hindi by Akhtar Nazmi. Download free Likha Hai Mujhko Bhi Likhna PaDa Hai Poem for Youth in PDF. Likha Hai Mujhko Bhi Likhna PaDa Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Likha Hai Mujhko Bhi Likhna PaDa Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.