बहें न आँख से आँसू तो नग़्मगी बे-सूद
खिलें न फूल तो रंगीनी-ए-फ़ुग़ाँ क्या है
Anwar Masood
Rahat Indori
Wasi Shah
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Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
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Gulzar
Habib Jalib
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दिल की राहें ढूँडने जब हम चले
कौन जीने के लिए मरता रहे
मआल-ए-गर्दिश-ए-लैल-ओ-नहार कुछ भी नहीं
बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मैं सफ़र में हूँ मगर सम्त-ए-सफ़र कोई नहीं
किस जुर्म-ए-आरज़ू की सज़ा है ये ज़िंदगी
तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है
आज भी दश्त-ए-बला में नहर पर पहरा रहा
इसी मोड़ पर हम हुए थे जुदा
कहें किस से हमारा खो गया क्या
लब-ए-सुकूत पे इक हर्फ़-ए-बे-नवा भी नहीं