इसी मोड़ पर हम हुए थे जुदा
मिले हैं तो दम भर ठहर जाइए
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आज भी दश्त-ए-बला में नहर पर पहरा रहा
बला-ए-तीरा-शबी का जवाब ले आए
निगाहें मुंतज़िर हैं किस की दिल को जुस्तुजू क्या है
तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है
किस को फ़ुर्सत थी कि 'अख़्तर' देखता मेरी तरफ़
मआल-ए-गर्दिश-ए-लैल-ओ-नहार कुछ भी नहीं
कौन जीने के लिए मरता रहे
गुज़रना है जी से गुज़र जाइए
कैसे समझाऊँ नसीम-ए-सुब्ह तुझ को क्या हूँ मैं
कहें किस से हमारा खो गया क्या
बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से