अभी जवाँ है ग़म-ए-ज़िंदगी का हर लम्हा
धड़क रहा है दिल-ए-बे-क़रार की सूरत
हसीन ओ शोख़ है मुस्तक़बिल-ए-बशर का ख़याल
किसी तबस्सुम-ए-बे-इख़्तियार की सूरत
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
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Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
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शिकस्त-ए-शौक़ को तकमील-ए-आरज़ू कहिए
मैं तो भूला नहीं तुम भूल गई हो मुझ को
इश्क़ का नग़्मा जुनूँ के साज़ पर गाते हैं हम
हसीन-तर
पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
अभी पोशीदा हैं नज़रों से ख़ज़ाने कितने
पैराहन-ए-शरर
तुम्हारे ए'जाज़-ए-हुस्न की मेरे दिल पे लाखों इनायतें हैं
फ़रेब
बम्बई
तख़्लीक़ का कर्ब
मैं जहाँ तुम को बुलाता हूँ वहाँ तक आओ