ख़ुदी की जल्वतों में मुस्तफ़ाई
ख़ुदी की ख़ल्वतों में किबरियाई
ज़मीन-ओ-आसमाँ ओ कुर्सी-ओ-अर्श
ख़ुदी की ज़द में है सारी ख़ुदाई
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Allama Iqbal
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Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
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ऋषी के फ़ाक़ों से टूटा न बरहमन का तिलिस्म
ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं
तिरा अंदेशा अफ़्लाकी नहीं है
तमीज़-ए-ख़ार-ओ-गुल से आश्कारा
सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं
ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब
नहीं मक़ाम की ख़ूगर तबीअत-ए-आज़ाद
अरब के सोज़ में साज़-ए-अजम है
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
अनोखी वज़्अ' है सारे ज़माने से निराले हैं
मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं
करेंगे अहल-ए-नज़र ताज़ा बस्तियाँ आबाद