ऐ ऐश-ओ-तरब तू ने जहाँ राज किया
सुल्ताँ को गदा ग़नी को मुहताज किया
वीराँ किया तू ने 'नैनवा' और 'बाबुल'
बग़दाद को 'क़र्तबा' को ताराज किया
Wasi Shah
Gulzar
Ahmad Faraz
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Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
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वाँ अगर जाएँ तो ले कर जाएँ क्या
मक्र-ओ-रिया
हक़ वफ़ा के जो हम जताने लगे
धूम थी अपनी पारसाई की
नअत
सख़्त मुश्किल है शेवा-ए-तस्लीम
क्यूँ बढ़ाते हो इख़्तिलात बहुत
बे-क़रारी थी सब उम्मीद-ए-मुलाक़ात के साथ
इश्क़
गदाई की तर्ग़ीब
बात कुछ हम से बन न आई आज
फ़राग़त से दुनिया में हर दम न बैठो