ऐ इश्क़ क्या तू ने घरानों को तबाह
पीरों को ख़रिफ़ और जवानों को तबाह
देखा है सदा सलामती में तेरी
क़ौमों को ज़लील ख़ानदानों को तबाह
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
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सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
मुझे कल के वादे पे करते हैं रुख़्सत
'हाली' सुख़न में 'शेफ़्ता' से मुस्तफ़ीद है
दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा
धूम थी अपनी पारसाई की
वक़्त की मुसाइदत
गदाई की तर्ग़ीब
मेडिकल टेस्ट
माँ बाप और उस्ताद सब हैं ख़ुदा की रहमत
कहते हैं जिस को जन्नत वो इक झलक है तेरी
जुनूँ कार-फ़रमा हुआ चाहता है
कोई महरम नहीं मिलता जहाँ में