जब मायूसी दिलों पे छा जाती है
दुश्मन से भी नाम तेरा जपवाती है
मुमकिन है कि सुख में भूल जाएँ अतफ़ाल
लेकिन उन्हें दुख में माँ ही याद आती है
Javed Akhtar
Parveen Shakir
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Anwar Masood
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
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शहद-ओ-शकर से शीरीं उर्दू ज़बाँ हमारी
कोई महरम नहीं मिलता जहाँ में
गुल-ओ-गुलचीं का गिला बुलबुल-ए-ख़ुश-लहजा न कर
फ़राग़त से दुनिया में हर दम न बैठो
राह के तालिब हैं पर बे-राह पड़ते हैं क़दम
मौजूदा तरक़्क़ी का अंजाम
उस के जाते ही ये क्या हो गई घर की सूरत
तौहीद
नशात-ए-उमीद
ग़म-ए-फ़ुर्क़त ही में मरना हो तो दुश्वार नहीं
तुम को हज़ार शर्म सही मुझ को लाख ज़ब्त
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती