राह के तालिब हैं पर बे-राह पड़ते हैं क़दम
देखिए क्या ढूँढते हैं और क्या पाते हैं हम
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(777) Peoples Rate This
तौहीद
तक़ाज़ा-ए-सिन
कब्क ओ क़ुमरी में है झगड़ा कि चमन किस का है
ऐ ऐश-ओ-तरब तू ने जहाँ राज किया
वक़्त की मुसाइदत
जब मायूसी दिलों पे छा जाती है
मर्सिया-ए-देहली-ए-मरहूम
क़लक़ और दिल में सिवा हो गया
फ़राग़त से दुनिया में हर दम न बैठो
तुम को हज़ार शर्म सही मुझ को लाख ज़ब्त
हक़ वफ़ा के जो हम जताने लगे
नशात-ए-उमीद