मेडिकल टेस्ट

दो मुलाज़िम एक काला और गोरा दूसरा

दूसरा पैदल मगर पहला सवार-ए-राह-वार

थे सिवल-सर्जन की कोठी की तरफ़ दोनों रवाँ

क्यूँकि बीमारी की रुख़्सत के थे दोनों ख़्वास्त-गार

राह में दोनों के बाहम हो गई कुछ हश्त-मश्त

कोख में काले की इक मुक्का दिया गोरे ने मार

सदमा पहुँचा जिस से तिल्ली को बहुत मिस्कीन की

आ के घोड़े से लिया साईस ने उस को उतार

ठोक कर काले को गोरे ने तो अपनी राह ली

चोट के सदमे से ग़श काले को आया चंद-बार

आख़िरश कोठी पे पहुँचे जा के दोनों पेश-ओ-पस

ज़ारिब अपने पाँव और मज़रूब डोली में सवार

डॉक्टर ने आ के दोनों की सुनी जब सरगुज़िश्त

तह को जा पहुँचा सुख़न की सुन के क़िस्सा एक-बार

दी सनद गोरे को लिख कर जिस में थी तस्दीक़-ए-मर्ज़

और ये लिक्खा था मसाइल हैं बहुत ज़ार-ओ-निज़ार

यानी इक काला न जिस गोरे के मुक्के से मरे

कर नहीं सकता हुकूमत हिन्द पर वो ज़ीनहार

और कहा काले से तुम को मिल नहीं सकती सनद

क्यूँकि तुम मालूम होते हो ब-ज़ाहिर जान-दार

एक काला पिट के जो गोरे से फ़ौरन मर न जाए

आए बाबा उस की बीमारी का क्यूँकर ए'तिबार

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