माँग लूँ तुझ से तुझी को कि सभी कुछ मिल जाए
सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
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पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया
हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
ज़ीस्त का ए'तिबार क्या है 'अमीर'
सौ शेर एक जलसे में कहते थे हम 'अमीर'
तूल-ए-शब-ए-फ़िराक़ का क़िस्सा न पूछिए
हिलाल ओ बद्र दोनों में 'अमीर' उन की तजल्ली है
रोज़-ओ-शब याँ एक सी है रौशनी
लाए कहाँ से उस रुख़-ए-रौशन की आब-ओ-ताब
हुए नामवर बे-निशाँ कैसे कैसे
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो
समझता हूँ सबब काफ़िर तिरे आँसू निकलने का
हम जो मस्त-ए-शराब होते हैं