मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
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बनते हैं फ़रज़ाने लोग
सुब्ह तक मैं सोचता हूँ शाम से
तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो
हर एक हाथ में पत्थर दिखाई देता है
आइने से नज़र चुराते हैं
कहीं सलीब कहीं कर्बला नज़र आए
सुना है अब भी मिरे हाथ की लकीरों में
नज़र नज़र हैरानी दे
उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी
इक परिंदा अभी उड़ान में है
मैं क्या जानूँ घरों का हाल क्या है