तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो
किस किस को बताओगे कि घर क्यूँ नहीं जाते
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3107) Peoples Rate This
हर गाम हादसा है ठहर जाइए जनाब
मिरे घर में तो कोई भी नहीं है
क़त्ल हो तो मेरा सा मौत हो तो मेरी सी
पाईं हर एक राह-गुज़र पर उदासियाँ
ज़िंदगी की दौड़ में पीछे न था
कहीं सलीब कहीं कर्बला नज़र आए
चलो कि ख़ुद ही करें रू-नुमाइयाँ अपनी
दिल में बे-नाम सी ख़ुशी है अभी
यार क्या ज़िंदगी है सूरज की
अगर मस्जिद से वाइज़ आ रहे हैं
उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़
हर रहगुज़र में काहकशाँ छोड़ जाऊँगा