उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़
हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा
Anwar Masood
Habib Jalib
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Javed Akhtar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Wasi Shah
Jaun Eliya
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वो सर-फिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे
ज़िंदगी की दौड़ में पीछे न था
दिल में बे-नाम सी ख़ुशी है अभी
हर एक हाथ में पत्थर दिखाई देता है
बंद आँखों से वो मंज़र देखूँ
तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो
इक परिंदा अभी उड़ान में है
वो इक लफ़्ज़ जो बे-सदा जाएगा
सुब्ह तक मैं सोचता हूँ शाम से
पूछा है ग़ैर से मिरे हाल-ए-तबाह को
लोग बनते हैं होशियार बहुत