Love Poetry of Amjad Najmi

Love Poetry of Amjad Najmi
नामअमजद नजमी
अंग्रेज़ी नामAmjad Najmi

ज़िंदगी

वो नहीं आए

उठ

तुम अगर चाहो तो

तबस्सुम

शिकस्त-ए-जाम

रौशनी कम है

पेच-ओ-ताब

अफ़्कार-ए-परेशाँ

उन के वा'दों का हाल क्या कहिए

तुम जल्वा दिखाओ तो ज़रा पर्दा-ए-दर से

तराना-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ है हर ख़ुशी अपनी

सुब्ह-दम आया तो क्या हंगाम-ए-शाम आया तो क्या

नहीं कुछ इंतिहा अफ़्सुर्दगी की

न कुछ आलिम समझते हैं न कुछ जाहिल समझते हैं

मुझे दैर भी हो क्यूँ कर न हरम की तरह प्यारा

कितना मुख़्तसर है ये ज़िंदगी का अफ़्साना

जो पूछते हैं कि ये इश्क़-ओ-आशिक़ी क्या है

जब कोई लेता है मेरे सामने नाम-ए-ग़ज़ल

जब दिल ही नहीं है पहलू में फिर इश्क़ का सौदा कौन करे

बुलबुल-ए-रंगीं-नवा ख़ामोश है

अपनी हस्ती को यहाँ बे-मुद्दआ समझा था मैं

आशुफ़्ता-नवाई से अपनी दुनिया को जगाता जाता हूँ

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