मैं आईनों को देखे जा रहा था
अब इन से बात भी करने लगा हूँ
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ख़ुद ही जाने लगे थे और ख़ुद ही
मैं ने चाहा था ज़ख़्म भर जाएँ
कैसे कैसे बना दिए चेहरे
रात से जंग कोई खेल नईं
मैं ने तस्वीर फेंक दी है मगर
अक्स कितने उतर गए मुझ में
ज़रा सी देर जले जल के राख हो जाए
पहले हमारी आँख में बीनाई आई थी
एक ही बात मुझ में अच्छी है
कैसा मुझ को बना दिया 'अम्मार'
तख़य्युल को बरी करने लगा हूँ
ख़ुद-परस्ती से इश्क़ हो गया है