हो इंतिज़ार किसी का मगर मिरी नज़रें
न जाने क्यूँ तिरी आमद की राह तकती हैं
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(722) Peoples Rate This
न पयाम चाहते हैं न कलाम चाहते हैं
दिलों से यास-ओ-अलम के नक़ाब उतारो तो
फ़ज़ाएँ कैफ़-ए-बहाराँ से जब महकती हैं
फ़ज़ा है तीरा ओ तारीक और उस का ख़याल
क़ल्ब-ओ-नज़र का सुकूँ और कहाँ दोस्तो
वो जिस ने मेरे दिल ओ जाँ में दर्द बोया है
हमें मिट के भी ये हसरत कि भटकते उस गली में
मयख़ाने पे छाई है अफ़्सुर्दा-शबी कब से