Heart Broken Poetry of Athar Nafees

Heart Broken Poetry of Athar Nafees
नामअतहर नफ़ीस
अंग्रेज़ी नामAthar Nafees
जन्म की तारीख1933
मौत की तिथि1980
जन्म स्थानKarachi

ये धूप तो हर रुख़ से परेशाँ करेगी

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा

जी न सकूँ मैं जिस के बग़ैर

हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम

इक शक्ल हमें फिर भाई है इक सूरत दिल में समाई है

इक आग ग़म-ए-तन्हाई की जो सारे बदन में फैल गई

वो इश्क़ जो हम से रूठ गया अब उस का हाल बताएँ क्या

वो दौर क़रीब आ रहा है

तू मिला था और मेरे हाल पर रोया भी था

सोचते और जागते साँसों का इक दरिया हूँ मैं

साया मेरा साया वो

सौ रंग है किस रंग से तस्वीर बनाऊँ

रौनक़-ए-बेश-ओ-कम किस के होने से है

फिर कोई नया ज़ख़्म नया दर्द अता हो

न शाम है न सवेरा अजब दयार में हूँ

न मंज़िल हूँ न मंज़िल-आश्ना हूँ

मिस्ल-ए-बाद-ए-सबा तेरे कूचे में ऐ जान-ए-जाँ आए हैं

लम्हों के अज़ाब सह रहा हूँ

क्या वक़्त पड़ा है तिरे आशुफ़्ता-सरों पर

क्या बात निराली है मुझ में किस फ़न में आख़िर यकता हूँ

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा

इतने दिन के बाद तू आया है आज

हम भी बदल गए तिरी तर्ज़-ए-अदा के साथ साथ

फ़र्ज़ानों की इस बस्ती में एक अजब सौदाई है

दिल की मसर्रतें नई जाँ का मलाल है नया

दम-ब-दम बढ़ रही है ये कैसी सदा शहर वालो सुनो

'अतहर' तुम ने इश्क़ किया कुछ तुम भी कहो क्या हाल हुआ

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