गिन रहा हूँ हर्फ़ उन के अहद के
मुझ को धोका दे रही है याद क्या
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वहशत-ए-दिल का अजब रंग नज़र आता है
सोहबत-ए-ग़ैर से बचिए बचिए
न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना
शीशे खुले नहीं अभी साग़र चले नहीं
वो सुनें या न सुनें नाला-ओ-फ़रियाद 'अज़ीज़'
ज़िंदगी नाम है मोहब्बत का
आराम अपने बस का है बस मैं नहीं है किया
नाज़नीनान-ए-जहाँ शोबदा-गर पक्के हैं
दम-ए-तकल्लुम किसी के आगे हम अपने दिल को भी देते हौके
नाले दम लेते नहीं या-रब फ़ुग़ाँ रुकती नहीं
नस्रीं में ये महक है न ये नस्तरन में है